हर दावत बड़ी नायाब होती है दोस्ती रिश्तेदारी और कभी दिलदारी लेकिन बात बना देती है खूब मेहमान नबाज़ी की दावत में लोग खुश होते तो हे ही पर असली ख़ुशी तो खाना खाने के बाद ही होती है
चाहे आप की दावत छोटी हो या बड़ी खाना लाजबाब हो ये है हमारी जिम्मेदारी